1991 के बाद पहली बार ब्रिटेन से 100 टन सोना भारत में वापस

RBI का सोने का Transfer: इतिहास से सबक और भविष्य की रणनीति

हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्रिटेन से 100 टन से अधिक सोने को भारत की तिजोरियों में transferred किया है। यह कदम RBI की रिजर्व मैनेजमेंट रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। 1991 के बाद यह पहली बार है जब भारत ने इतने बड़े पैमाने पर सोने को विदेश से वापस लाया है। उस समय देश एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा था।

सोने का ऐतिहासिक महत्व

सोना हमेशा से भारत की वित्तीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक रहा है। 1991 में, देश ने अपने 46.91 टन सोने को गिरवी रखकर बैलेंस ऑफ पेमेंट्स संकट से निपटा था। 2009 में, RBI ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 200 टन सोना खरीदा था, जो इस बात का संकेत था कि भारत अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहता था।

ताजा स्थानांतरण

वित्त वर्ष 2023-24 में, RBI ने ब्रिटेन में bank of England के पास जमा अपने 100 टन सोने को भारत वापस लाने का निर्णय लिया। मार्च 31, 2024 तक, RBI के स्वर्ण भंडार 822.10 टन हो गए थे, जो पिछले वर्ष के 794.63 टन से बढ़कर है। यह 27.46 टन की बढ़ोतरी को दर्शाता है।

रणनीतिक बदलाव

यह Transfer RBI की रणनीतिक सोच में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। ब्रिटेन में सोना रखने की लागत को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। विदेश में सोना रखने पर अधिक storage की लागत आती है, जिसे अब RBI कम करना चाहती है। इस कदम से न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि भारत के स्वर्ण भंडार की सुरक्षा भी बढ़ेगी।

वित्तीय सुरक्षा और भविष्य

इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारत की आर्थिक सुरक्षा को और मजबूत करना है। सोने का भंडारण देश में होने से आपात स्थिति में इसका उपयोग करना आसान होगा। इससे Reserve Bank of India को भी अपनी मौद्रिक नीतियों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।

RBI का यह कदम एक महत्वपूर्ण रणनीतिक निर्णय है जो भारत की आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है। यह न केवल देश की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा। सोने का यह स्थानांतरण एक ऐतिहासिक कदम है जो भारत के वित्तीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

Leave a Comment