उत्तर प्रदेश: बेटे की चाहत में गर्भवती पत्नी पर क्रूरता करने वाले पति को उम्रकैद

उत्तर प्रदेश के बदायूं में बेटे की चाहत में गर्भवती पत्नी का पेट फाड़ने वाले पति को उम्रकैद

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। यहाँ, बेटे की चाहत में एक व्यक्ति ने अपनी गर्भवती पत्नी के पेट को हसिये से फाड़ दिया था। इस घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया था। अब, तीन साल बाद, कोर्ट ने आरोपी पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

घटना का विवरण

यह घटना तीन साल पहले की है, जब बदायूं जिले के एक गांव में रहने वाले व्यक्ति ने अपनी गर्भवती पत्नी पर बेटे की चाहत में क्रूरता की हदें पार कर दी थीं। उसने हसिये से अपनी पत्नी के पेट को फाड़ दिया था, यह सोचकर कि गर्भ में बेटा है या नहीं। इस घिनौने कृत्य के बाद पत्नी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हुई थी।

न्याय की लड़ाई

इस जघन्य अपराध के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया था। अदालत में चली लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, आज न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

पीड़िता का बयान

कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़िता ने राहत की सांस ली और न्याय मिलने पर खुशी जाहिर की। उसने कहा, “आज मुझे न्याय मिला है और मुझे उम्मीद है कि इस फैसले से समाज में एक संदेश जाएगा कि महिलाओं के साथ इस प्रकार का अत्याचार किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

समाज के लिए संदेश

इस घटना ने एक बार फिर से समाज में बेटे-बेटी के बीच भेदभाव की कुरीति को उजागर किया है। यह सोच कि केवल बेटा ही परिवार की विरासत को आगे बढ़ा सकता है, कई परिवारों में आज भी गहरी जड़ें जमाए हुए है। लेकिन ऐसे मामलों में अदालत के सख्त फैसले समाज को यह समझाने में मदद करते हैं कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

समापन

बदायूं की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। न्यायालय का यह सख्त फैसला इस बात का प्रतीक है कि कानून महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा को सहन नहीं करेगा और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। समाज को इस फैसले से सबक लेना चाहिए और बेटियों और बेटों के बीच के भेदभाव को समाप्त करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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